लालू परिवार पर सीबीआई रेड के पीछे नीतीश-तेजस्वी की मुलाकातों

राजनीतिक संवाददाता द्वारा
पटना :आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के देशभर के 16 ठिकानों पर छापेमारी की गई। राजनीतिक गलियारों में इसे पॉलिटिकल रेड कहा जा रहा है। खास कर नीतीश कुमार के तेजस्वी से बढ़ती नजदीकियों और इफ्तार पार्टी में दिखी आत्मीयता को इसका कारण बताया जा रहा है।
ये छापेमारी पहली बार नहीं है। इससे पहले भी लालू प्रसाद यादव के ठिकानों पर कई बार छापेमारी हुई है। लालू यादव के बेहद करीबी सुनील सिंह कहते हैं कि 1997 से दर्जनों बार छापेमारी देख चुके हैं। आरजेडी सुप्रीमो और उनके परिवार को CBI से परेशान कराया जा रहा है। भाजपा सीबीआई का दुरुपयोग कर रही है। इस छापेमारी में कुछ नहीं मिलने वाला है।’ अब सवाल है कि आखिर 2004-2009 के रेलवे भर्ती मामले में सीबीआई की नींद अभी क्यों खुली? आखिर सीबीआई की भूमिका पर सवाल क्यों उठ रहे हैं?
हालांकि राजनीतिक पंडित इस सीबीआई छापेमारी को पॉलिटिकल रेड बता रहे हैं। राबड़ी आवास पर मौजूद नेता भी इस ओर इशारा कर रहे हैं कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की नजदीकियों की वजह से यह सबकुछ हो रहा है। पिछली बार 2017 में जब नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की सरकार चल रही थी तो उस समय भी सीबीआई ने लालू यादव के 12 ठिकानों पर रेड किया था। तब नीतीश कुमार ने लालू यादव से गठबंधन तोड़कर BJP के साथ सरकार बनाई थी। तब से यह गठबंधन चल रहा है।

शायद सीएमनीतीश कुमार को भी इस बात का इल्म नहीं था कि राबड़ी देवी के आवास पर इफ्तार की दावत में शामिल होने का परिणाम क्या होगा। आज 29वें दिन ही लालू आवास पर छापेमारी शुरू हो गई। बताया जा रहा कि सीएम का राबड़ी आवास पर जाना BJP को रास नहीं आया। BJP चाहती है कि नीतीश कुमार उनके ही बन कर रहें, तेजस्वी या फिर किसी और के साथ उनके संबंध गहरे ना हों।
नीतीश कुमार बुलावे पर राबड़ी देवी के आवास पर चले गए। फिर दो दिनों बाद ही जब JDU ने इफ्तार की दावत दी तो तेजस्वी और तेजप्रताप यादव पहुंचे। उस समय नीतीश कुमार ने दोनों भाइयों से काफी आत्मीयता दिखाई। CM नीतीश कुमार ने दोनों भाइयों का स्वागत भी किया और गाड़ी तक छोड़ने भी गए। इसे भी राजनीति के लिहाज से बड़ी घटना माना जा रहा था।
सीएम नीतीश कुमार ने इस ईद में कुछ ज्यादा ही अल्पसंख्यक प्रेम दिखाया। ईद के दिन वे 13 जगहों पर मुस्लिम नेताओं और मित्रों के आवास पर गए। उनके इसी अति मुस्लिम प्रेम की वजह से ही BJP केंद्रीय नेतृत्व ने अपने नेता धर्मेंद्र प्रधान को बिहार भेजा। केंद्रीय मंत्री के इस दौरे का मकसद था कि वो नीतीश कुमार के दिल को टटोलें कि आखिर अंदर में क्या चल रहा है।

इधर, प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने जातीय जनगणना को लेकर बड़ा आंदोलन करने की बात कही। ऐलान किया कि यदि नीतीश कुमार मुझसे मिलकर जातीय जनगणना पर बात नहीं करेंगे तो वो दिल्ली तक इसके विरोध में पैदल मार्च करेंगे। आनन-फानन में नीतीश ने तेजस्वी यादव को सीएम हाउस बुलाया। बंद कमरे में लगभग आधे घंटे बात की। बंद कमरे में क्या बातें हुई, इसपर अबतक ना तो नीतीश कुमार ने स्पष्ट किया और ना तेजस्वी यादव ने साफ किया।
इधर पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्रा के पोते और आरजेडी नेता व पूर्व विधायक ऋषि मिश्रा ने सीबीआई की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि सीबीआई कभी भी फेयर काम नहीं करती है। 1975 में मेरे बाबा पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र की हत्या हुई थी। उस समय से सीबीआई की जांच चल रही है। अभी तक मामला कोर्ट में है और आज लालू यादव को फंसाने के लिए सीबीआई काम कर रही है। सीबीआई 14 साल बाद छापेमारी कर रही है। यह पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है। बीजेपी, सीबीआई का दुरुपयोग कर रही है। जो लोग BJP के साथ हैं, उन्हें इतिहास कभी माफ नहीं करेगा।

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